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Prayagraj Stampede: आखिर कैसे मची भगदड़ ?

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Prayagraj Stampede: आखिर कैसे मची भगदड़, क्या हुआ महाकुंभ में कल रात… जानें इससे पहले कब-कब आस्था का केंद्र बना हादसों का स्थान-

Maha Kumbh 2025 Accident: प्रयागराज महाकुंभ में बीती रात भगदड़ मचने की वजह से 17 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। बता दें कि कुंभ मेले में यह कोई पहला हादसा नहीं बल्कि इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। चलिए जानते हैं कब-कब आस्था का केंद्र बना हादसों का स्थान और क्यों घटित होती है घटनाएं।

Kumbh Mela Stampede: प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा देश-विदेश में हो रही है। 144 वर्षों के बाद होने वाले इस पर्व में शामिल होने के लिए हजारों-लाखों लोग रोजाना शामिल हो रहे हैं। 29 जनवरी को होने वाले मौनी अमावस्या स्नान के लिए करोड़ों लोगों का हुजूम देखने को मिल रहा था। इस भीड़ को देखकर जिस अनहोनी का अंदेशा हो लग रहा था आखिर हुआ भी कुछ वैसा ही। मौनी अमावस्या पर स्नान से पहले करीब रात 1 बजे संगम नोज पर भीड़ के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 17 लोगों की मौत और कई लोग घायल हो गए है।

महाकुंभ हादसे से आने वाली तस्वीरों ने झकझोर कर रख दिया है। बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं जब कुंभ के दौरान भगदड़ मची है बल्कि इसका इतिहास आजादी के दौर से जुड़ा है। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कल रात ऐसा क्या हुआ और इससे पहले कब-कब ये आस्था का केंद्र हादसे में बदल गया।

मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में स्नान के लिए जुटी भारी भीड़ अब धीरे-धीरे अपने घरों को लौटने लगी है. लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षित वापसी किसी चुनौती से कम नहीं है-

कुंभ में हादसे के बाद प्रशासन चौकस है और भीड़ पर नियंत्रण की कवायद में लगा है. लेकिन वापसी के लिए बेचैन श्रद्धालुओं के लिए इंतजार का एक-एक पल भी भारी पड़ रहा है.

प्रयागराज ही नहीं आसपास के रेलवे स्टेशनों पर भी भीड़ बढ़ती जा रही है.

प्रयागराज जंक्शन पर हज़ारों लोग अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अपनी ट्रेनों का इंतजार कर रहे हैं. इसके साथ ही अब भी कुंभ में आने वाले यात्रियों का तांता लगा हुआ है.

प्रयागराज रेलवे जंक्शन पर जमा ये भीड़ न सिर्फ प्रयागराज से सटे मध्य प्रदेश के रीवा और सतना ज़िलों से है बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कोलकाता और दिल्ली से लेकर चेन्नई तक के लोग यहाँ मौजूद हैं.

पटना की ओर जाने वाली कुंभ स्पेशल ट्रेन के डिब्बे में ज़मीन पर बैठी आरती देवी ने कहा, “हम नौ महिलाएँ एक ही गाँव से आई थीं लेकिन बुधवार रात की भगदड़ में पांच महिलाएँ हमसे अलग हो गईं. हमारा स्नान भी नहीं हो पाया और अब मजबूरी में हमें लौटना पड़ रहा है. गाँव से तीन लोग उन्हें ढूंढने आ रहे हैं.”

प्रयागराज से 1700 किलोमीटर दूर चेन्नई से आए चंद्रू भी अपने भारी झोले के साथ स्टेशन पर ट्रेन की तलाश करते दिखे.

उन्होंने कहा, “मैं यहाँ तीन दिनों से हूँ. सबसे बड़ी समस्या भीड़ को संभालने और व्यवस्थाओं की है. लाखों लोग यहाँ आए हैं लेकिन व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं. लोगों को बहुत दूर तक पैदल चलना पड़ रहा है और अब लौटते समय भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन बस किसी तरह से लोगों को यहाँ से निकालने में जुटा है.”

स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सिपाही ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हमारे पास आदेश है कि कैसे भी करके शहर से लोगों को बाहर निकालो. हज़ारों यात्री ऐसे हैं, जो ग़लत ट्रेन में चढ़ गए हैं, लेकिन कम से कम स्टेशन ख़ाली हो रहा है. इससे भगदड़ जैसी स्थिति बनने से बचा जा सकता है. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोग किसी भी ट्रेन में बैठकर अपने घरों की दिशा में निकल जाएं.”

तीन महिलाओं की कहानी, जिन्होंने कुंभ में आधी रात को अपनों को खो दिया…

ये लोग मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात कभी नहीं भूल पाएंगे.

प्रयागराज के कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे थे. लेकिन आधी रात में कुछ ऐसा हुआ, जो परिवारों को तबाह कर गया.

एक मां है, जो अपनी बेटी को खो चुकी है और बिलख रही है. एक बेटी है, जो अपनी मां को खो चुकी है. और एक महिला हैं, जो आई थीं पति के साथ लेकिन अब अकेली हो गई हैं.

प्रशासन के मुताबिक इस हादसे में 30 लोग मारे गए हैं, जबकि 60 घायल हुए हैं.

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